Stages of social development according to Eric Erickson
1- विश्वास बनाम अविश्वास -
शैशवास्था - जन्म से 2 वर्ष - यह बालक के जीवन की प्रारम्भिक अवस्था है । इस अवस्था में यदि बालक का पालन पोषण अच्छी तरह से होता है तो उसमें विश्वास और सुरक्षा का विकास होता है यदि माँ के द्वारा अपनी आवश्यकताएं पूरी किये जाने पर भरोसा होने के कारण शिशु व्याकुल हुए बिना अपनी माँ की अनुपस्थिति झेल सकता है तो वह इस चरण को सफलता पूर्वक पार कर चुका होता है। यदि बालक की देखभाल पूर्ण रूप से नहीं हो पाती तो वह असुरक्षित और शंकालु हो जाता है।
2 - स्वायत्तता बनाम लज्जा एवं सन्देह -
पूर्व बाल्यकाल - 2 से 4 वर्ष- एरिक्सन के अनुसार सामाजिक विकास की दूसरी अवस्था स्वायत्तता बनाम लज्जा एवं सन्देह की होती है इस दौरान बालक शौचालय प्रशिक्षण प्राप्त करता है। यह फ्रायड की गुदा चरण अवस्था के समान होता है। इस अवस्था में यदि उसको अच्छी तरह सम्भाला जाता है तो वह इस चरण को लज्जित महसूस करने के बजाए निश्चित हो कर पार करलेता है।
3 - पहल बनाम अपराध भावना -
पूर्वस्कूल काल 4 - 6 वर्ष - यह अवस्था तब आती है जब स्वस्थ बालक अपने कौशलो का विस्तृत ढग से उपयोग, सहयोग और नेतृत्व ओर अनुकरण करना सीख लेता है यदि इस अवस्था में वह भयभीत रहता है तो वह व्यस्को पर निर्भर रहेगा और यदि वह प्रयेक कार्य को करता है तो उसका सामाजिक कौशल एवं कल्पना शक्ति का विकास होता है।
4 - परिश्रमशीलता बनाम हीनता -
स्कूल काल - 6 - 12 वर्ष - विद्यालय में बालक का प्रवेश इस काल के दौरान होता है। जहां बालक उत्पादक बन कर पहचान प्राप्त करना सीखता है। कार्य आनन्ददायक बन जाता है। और वह संरक्षण करना सीख लेता है। यदि बालक अपने कौशलों में स्वयं को योग्य महसूस नहीं करता है या कार्य कौशलों में अपने समवर्ती बालकों के बीच अपने आपको सन्तुष्ट महसूस नहीं करता है तो उसमें अपर्याप्तता की भावना और हीन भावना विकसित हो सकती है ।
5 - पहचान बनाम भूमिका संभ्रान्ति -
12 -20 वर्ष किशोरावस्था - इस चरण के अन्तर्गत बचपन को पीछे छोड़ बालक किशोरावस्था में प्रवेश लेता है जिसमे बालक एक स्थान की तलाश करनी होती है एक पहचान एक ऐसी आत्म धारणा जो उसके बारे में दूसरो के विचारों से मेल खाये । वह इस प्रश्न का उत्तर ढूंढ़ने का प्रयास करता है कि मै कौन हूँ ?
भूमिका संभ्रान्ति का अर्थ व्यक्ति की अपने आप की अनिश्चितता ।
6- घनिष्ठता बनाम अलगाव - इस चरण में वह एक स्थायी मित्रता या विवाह की घनिष्ठता का अनुभव करने के लिए समर्थ हो जाता है वह अपने खुद के भय के बिना ऐसी परिस्थितियों में स्वयं का पूरी तरह परित्याग कर सकता है। जो इनकी मांग करती है। स्व -पारित्याग के भय के परिणाम स्वरूप अलगाव की भावना उत्पन्न हो जाती है ।
7 - प्रजनन बनाम गतिहीनता - का चरण होता है जिसमें उत्पत्ति को अभिभावक सम्बन्धी जिम्मेदारी के रूप में परिभाषित किया गया है। अगली पीढ़ी को उत्पन्न करने तथा साथ ही उन्हें निर्देशित करने में रुचि । व्यक्ति उत्पादक और सृजनात्मक ढ़ग से कार्य करने में समर्थ होता है।
8 - स्व-संगठन बनाम निराशा - संगठन का अर्थ है वास्तविकता का सामना करना उसे पहचानना और स्वीकार करना । परिपक्व व्यक्ति आत्म धारणा विकसित कर लेता है जिसे वह स्वीकार कर सकता है और वह जीवन में अपनी भूमिका और उत्पादन से सन्तुष्ट होता है।
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