छोड़ कर हर फिक्र को,
मंजिल पर तू आगे बढ,
कुछ कर गुजर, कुछ कर गुजर,
हो प्रगति पथ पर अग्रसर
हो प्रगति पथ पर अग्रसर ।
कौन कहता है ? तुझसे
तू ये नहीं कर पायेगा,
मंजिल पर तू आगे बढ,
कुछ कर गुजर, कुछ कर गुजर,
हो प्रगति पथ पर अग्रसर
हो प्रगति पथ पर अग्रसर ।
कौन कहता है ? तुझसे
तू ये नहीं कर पायेगा,
जो ख्वाब देखें है तूने वह ख्वाब ही रह जायेगा,
तोड दे उन बेड़ियों को जो तुझे है बांधती
"मन में सच्चा दीप जला ले आज के शुभ काम की" निराश मन को स्थिर कर
दे उम्मीदों का दीप जला
कुछ कर गुजर, बस इतना तू कि प्रसन्न हो जाये ये धरा,
है इंसान तू इंसानियत को तू अपने साथ रख
क्या करेगा ? क्या कहेंगे सब ? के डर से तू आगे बढ
हो प्रगति पथ पर अग्रसर
हो प्रगति पथ पर अग्रसर
आँखों में हर पल हर सहर,
मंजिल को पाने की ललक,
हो मंत्रमुग्ध तू उस ललक में
"जयघोष कर ले आज की"
चाहे आये घनघोर आँधी या
ववंडर ले चले तेरे सपने उड़ा,
हिम्मत न हार बढ चल तू आगे
थाम डोर विश्वास की
हो प्रगति पथ पर अग्रसर, हो प्रगति पथ पर अग्रसर ।
Babita pathak Mishra
Counseling psychologist
Eductionalist
Copyright
दे उम्मीदों का दीप जला
कुछ कर गुजर, बस इतना तू कि प्रसन्न हो जाये ये धरा,
है इंसान तू इंसानियत को तू अपने साथ रख
क्या करेगा ? क्या कहेंगे सब ? के डर से तू आगे बढ
हो प्रगति पथ पर अग्रसर
हो प्रगति पथ पर अग्रसर
आँखों में हर पल हर सहर,
मंजिल को पाने की ललक,
हो मंत्रमुग्ध तू उस ललक में
"जयघोष कर ले आज की"
चाहे आये घनघोर आँधी या
ववंडर ले चले तेरे सपने उड़ा,
हिम्मत न हार बढ चल तू आगे
थाम डोर विश्वास की
हो प्रगति पथ पर अग्रसर, हो प्रगति पथ पर अग्रसर ।
Babita pathak Mishra
Counseling psychologist
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