Wednesday, October 14, 2020

मेंटल हेल्थ ऑफ चिल्ड्रन ड्यूरिंग covid-19

            मेंटल हेल्थ ऑफ चिल्ड्रन ड्यूरिंग covid-19 


मानव अवस्था की विभिन्न अवस्थाओं में बाल्पावस्था एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है और सही मायने में यह Golden age के रूप में किशोरावस्था के बाद की दूसरी अवस्था कहलाती है जहाँ न किसी प्रकार की समस्या और नही किसी बात का डर बस है तो क्या बहुत सारे सपने और सीखने के लिए अवसर जो कि एक बेहतरीन जीवन की ओर आगे बढ़ाती है और बाल्यवस्था के दौरान प्रत्येक प्रकार के अनुभव एवं परिस्थिति का बच्चे के व्यक्तित्व निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते है इस सम्बन्ध में हमने ऐसी बहुत सारी कहानियाँ सुनी और पढ़ी है जिसमें बाल्पावस्था के दौरान प्राप्त किये गये अनुभव एवं सीखे गये ज्ञान के आधार पर महान व्यक्तित्व का निर्माण हुआ है फिर चाहे वह महान वैज्ञानिक एपीजे अब्दुल कलाम जी हो या इतिहास के पन्नों मे महान राजा चन्द्रगुप्त मौर्य हो दोनो के ही व्यक्तित्व निर्माण में उनकी बाल्यावस्था का महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ता है मनोविज्ञान में महान मनोवैज्ञानिक एरिक एरिक्सन ने अपने मनोसामाजिक सिद्धान्त में बाल्यावस्था को जीवन निरमाण की एक महत्वपूर्ण अवस्था माना है । लेकिन २०२० के covid -19 ने तो जैसे बाल्यावस्था के सारे कार्यों को ही घरों में कैद कर दिया है एवं बच्चे घरों में रहकर अपनी सारे शौक र्को दबा रहें है ऐसे में कई ऐसे सामाजिक एवं मनोवैज्ञानि विकार है जो बच्चों में आना स्वाभाविक है इस paper में हम उन्ही विकारों के सम्बध में विमर्श करेंगे। fearness - वर्तमान समय को देखते हुए यह एक आम बात हो गयी है कि सभी कह रहें है डरकर रहों ' जहाँ हमे हमारे बच्चों को ये सीख।ना होता था कि बेटा डरो नहीं और मुकाबला करो वही तमाम T . v . चैनल News papere aids सभी में कहा जा रहा कि डर कर रहे ऐसी स्थिति में बड़े तो एक बार समझ जा रहें लेकिन इसका सीधा प्रभाव उन बच्चों पर आ रहा है और वो डर के अवस्था मे आ जा रहे है जिसका प्रभाव भविष्य में fobia के रूप में बदल जाना स्वाभाविक है और उसमें भी विभिन्न प्रकार के fobic disorders as like claustrophobia (Fear of confined or crowded spaces ) zoophobia ' cryophobia ' Insectophobia ( Fear of Insects ) ' verminophobia ( Fear of germs ) anthropophobia and many others kinds of fobia का होना स्वाभाविक हो जायेगा । एक Psychotherepist and counselor होने के नाते आज कल मेरे पास भी ऐसे कई case आये है जहाँ बच्चों में कई तरह का डर सामने आ रहा है - 

1- बच्चे अब अपने हाथों को बार बार धोने के कारण आने वाले समय में verminophobia का शिकार बनने की संभावना ज्यादा है जिस का परिणाम skin की बिमारी के रूप में भी आ रही है parents की शिकायत है कि अब बच्चे बहुत ज्यादाPossesive महसूस कर रहे हैं। 

२ . बच्चों में डर की वजह से वह पूरा दिन घर में ही बैठना और किसी भी सामान को न छूना भी सामने आ रहा है ऐसे में बच्चों में आलस्य की भावना भी हो रही है। 


3. कई parents की यह शिकायत भी है कि हमारे बच्चे family में भी आपस में एक दूसरे के साथ नही बैठ रहे और सोशल डिस्टेंनिग का पालन करते नजर आ रहे ऐसे में अकेलापन और Anxiety होता स्वाभाविक है। 


ANXIETY - Lock down एवं covid-19 जैसे सभी में चिन्ता के स्तर को बढ़ाने वाला एक बड़ा कारण हो गया है। इसमें भी कई level है। 

1. बच्चे अब अपने आने वाले कल को लेकर काफी चिन्तित रहने लगे है घर में बैठे बैठे उनमें आने वाले भविष्य को लेकर चिन्ता के विकार आने लगे है अब वो यह clear नहीं कर पा रहे है कि यदि उन्हें sport में Intrerst है या Photography का शौक है तो उसे कैसे वे continue करें ऐसे में उनमें Anxiety होना स्वाभाविक है। 

2.बच्चों में अब विज्ञान के प्रोजेक्ट पर लेब में जाकर काम करने पर रोक है जिस कारण उनकी जिज्ञासा और प्रेरणा दोनो ही कम होती जा रही है। 

3.अब वे ज्यादा से ज्यादा समय टीवी और मोबाइल पर निकाल रहे है जिसका प्रभाव शारीरिक एवं मानसिक दोनो अवस्था में हो रहा है । class 10 and 12 के वे बच्चे जो अभी बोर्ड का exam देने जा रहे है या देना बाकी है वो भी अब इस प्रकार के चिन्ता का शिकार हो रहे है । लाक डाउन के इस दौर में प्रत्येक 100 में से 4० बच्चों में इस प्रकार की समस्या देखने में आ रही है । 


Cravings / Addiction - २०२० का यह दौर जैसे सभी को घरों में कैद रहने को मजबूर कर दिया है ऐसे में लोगो का ज्यादातर समय मोबाइल पर बीत रहा है और बच्चों में मोबाइल तो जैसे way of life के रूप में सामने आ गया है जहाँ बच्चों को online class का benefit to मिल रहा है लेकिन इसके पीछे कई तरह की समस्याएं भी आ रही है 

1. बच्चों में अपने दिन के कई घण्टे लगातार Laptop या मोबाइल के सामने बीतने से वे मोबाइल के आदी होते जा रहे जिसके कारण mobile भी एक addiction के रूप में सामने आ रहा है। 


२.मोबाइल और laptop जैसे जीवन जीने का बहुत महत्वपूर्ण हथियार हो गया है। जो उन्हें बाहरी दुनिया से बिल्कुल Byecot कर दे रहा है। 


३.बच्चे अब अपना अधिकतर समय online class पर निकाल रहें ऐसे में side में वो क्या कर रहे इस पर parents की नजर continue नहीं हो पा रही और बीच बीच में online विज्ञापनो और other cyber अपराध के केस आगे आ रहे। इस सम्बन्ध में दिल्ली NCR के कई parents से बात हुई जिन्होंने covid के कारण होने वाली online class के कारण mobile addiction or T.V. addiction की समस्या बतलाई है। 


Behavior issues - covid ने virus के साथ साथ लोगो के व्यवहार में भी virus घोल दिया । covid में लोगों के व्यवहार में परिवर्तन व चिन्ता के कारण नजर आ रहें अब लोग जल्दी परेशान हो जा रहे है व्यवहार में लगातार आक्रामकता एवं गुस्से का स्तर बढ़ता जा रहा जिसका परिणाम घरेलू आक्रामकता बच्चों में अकेलापन जैसे विकारों के रूप में देखने को मिल रहा ह 


PTSD - बच्चों में इस प्रकार की Post traumatic stress disorder की समस्या अब आम हो गयी है । बच्चों का बात बात पर आक्रामक हो जाना जहाँ दो से चार बच्चे है और joint family है वहाँ पर बच्चों में एक दूसरे से चिढ़ना इत्यादि एकmental troma का रूप ले रहीं हैं।


Self image issue - हम सभी अगर अपने बचपन को याद करें तो कुछ को छोड़ कर और सभी लोग अपने बचपन में बेफिक्र होकर किसी भी काम को करते थे समय से school जाना -आना ,समय से खाना सोना जल्दी उठना जैसे नियमित दिनचर्या में एक अनुशासन के साथ अपने दिनचर्या को पूरा करते थे क्योंकि व्यक्ति एक दूसरे से भिन्न होता है और सभी की सीखने और समझने की क्षमता भी दूसरे से अलग होती है ऐसे में हम अपने साथियों की सहायता से अपने कमियों को कई तकनीक से सीखकर दूर कर लेते थे and self image में नहीं बंधते थे। but covid - और online class के informal शिक्षा और साथियों के नाम पर parents और other family member के साथ पूरा दिन निकालते है ऐसे में परिवार के प्रत्येक सदस्य के अपने self image है और जो बच्चा है यदि वह किसी काम को उस तरह से नहीं कर पाता है तो उसे भी किसी एक image के आधार पर रखना एक प्रकार से बच्चे की क्षमताओं को कम आँकने के बराबर आ रहीं है जहां बच्चों में identity crisis and self image issue होना स्वाभाविक है। 


Emotional issuss - किसी व्यक्ति में अपने भावों को व्यक्त करने का सबसे अच्छा Medium emotion होते है लेकिन covid के इस दौर में जैसे अधिक तर लोगों में से Happyness wale emotion को कही छुपा दिया है यह problem बड़ों के साथ साथ बच्चों में भी commen हो गयी है covid से पहले emotinal issus अधिकतर adult hood के बाद देखने को मिलती थी किन्तु covid में यह समस्या सभी में देखने को मिल रही और इसका प्रभाव बच्चों में भी कई तरह के symtoms के रूप में देखने को मिल रहा है जैसे - anger ,sadness, vulnerability,hyper होना जाना आम बात हो गयी। as a psychotherepist and counselor मैने कई clint and parents में ये Basic problem कि मेरे बेटा या बेटी बात बात पर चिल्लाना या रोना शुरू कर देते है गुस्से में अपने जरूरी सामान फेकना एक आम बात हो गयी है। इस आधार पर यह कहना गलत नही होगा कि covid का समय किसी भी parents के लिए काफी challenging time है जहाँ वह अपने Job and other समस्या का सामना तो कर रहे तथा साथ ही इस तरह के Psychological problems का भी सामना कर रहें इस Situation में पेशेन्स के साथ इस समय को healthy movement के साथ निकालने का समय है। 

do better for future . 


Babita Pathak Mishra 

Counseling Psychologist and special Education professionals (RCI)

Counselor





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